tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post1493679044355340734..comments2023-10-11T14:59:55.982+05:30Comments on कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **: अधूरी ज़िन्दगी ....रंजू भाटियाhttp://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comBlogger34125tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-19189190813630693392009-05-08T14:47:00.000+05:302009-05-08T14:47:00.000+05:30ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है
दिल ...ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है <br />दिल में याद और आँखों में नमी सब कह जाती हैअनुपम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/14259746714891353242noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-17711528848602528932009-05-08T12:11:00.000+05:302009-05-08T12:11:00.000+05:30हमें आती है ना जीने की कला... हमसे सीखिये..
किस क...हमें आती है ना जीने की कला... हमसे सीखिये..<br /><br />किस किस की बात कीजिये<br />किस किस को रोईये<br />अजी नींद बडी चीज है<br />मूंह ढक के सोईये<br /><br />और अगर सोने (नींद) से परहेज हो तो<br /><br />आरजू ले कर घर से निकलते क्यों हो<br />पांव जलते हैं तो आग पर चलते क्यों हो<br /><br />और आरजू के बारे में भी कुछ कह दूं<br /><br />यारव दुआये-वसल न हर्गिज कबूल हो<br />फ़िर दिल में क्या रहा जो हसरत निकल गईMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-11914996088572766152009-05-08T10:30:00.000+05:302009-05-08T10:30:00.000+05:30इक अधूरी प्यास को सब साथ लेकर जायेंगे,
प्यार के बी...इक अधूरी प्यास को सब साथ लेकर जायेंगे,<br />प्यार के बीते बरस अब लौट कर नही आयेंगेPrem Farukhabadihttps://www.blogger.com/profile/05791813309191821457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-66715053889378017952009-05-07T05:35:00.000+05:302009-05-07T05:35:00.000+05:30... बहुत खूब, प्रसंशनीय अभिव्यक्ति।... बहुत खूब, प्रसंशनीय अभिव्यक्ति।कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-46213000961447683832009-05-06T05:12:00.000+05:302009-05-06T05:12:00.000+05:30bahut sundar rachna ..jeevan ki sachchayi hai ye.....bahut sundar rachna ..jeevan ki sachchayi hai ye...Gaurav Misrahttps://www.blogger.com/profile/04478457371042437275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-29841334754435220562009-05-06T00:04:00.000+05:302009-05-06T00:04:00.000+05:30हमेशा की तरह ही एक खूबसूरत रचना ..हमेशा की तरह ही एक खूबसूरत रचना ..संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-38358782356395870162009-05-05T23:01:00.000+05:302009-05-05T23:01:00.000+05:30’डायरी के पुराने पन्नों से" नीचे ये इबारत पढ़कार वा...’डायरी के पुराने पन्नों से" नीचे ये इबारत पढ़कार वापस जाता हूँ कविता पर फिर से पढ़ने और इन पंक्तियों पर जाकर अटक जाता हूँ "प्यार ,किस्से. कविता .कहानी ../यह सिर्फ़ दिल को ही तो बहलाती हैं / अपनी बात समझाने में कुछ तो कमी रह जाती है"....<br />हर कवि का सचगौतम राजऋषिhttps://www.blogger.com/profile/04744633270220517040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-58839128733399335552009-05-05T22:57:00.000+05:302009-05-05T22:57:00.000+05:30ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है
संपू...ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है <br />संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???<br /> There were many things left to be done..till i breathed last ...<br /><br /><br />धूमिल धूमिल यादों से पहचान बनाना बाकि था <br />फ़िर नए पहचान पे , कुछ उम्र बिताना बाकि था <br /><br />रात की पलकों पे तेरा चमकना था बाकि <br />दिन के रूखे निशां पे, तस्वीर बनाना बाकि था <br /><br />रौशनी रंगने की खातिर, एक चाँद बनाया था हमने <br />थोड़ा सा तुम जैसा हो , मुस्कान बनाना बाकि था <br /><br />अ़ब तो दीवारों-दर भी अपने दोस्त हो गए <br />घर की तलाश में , कुछ मकान बनाना बाकि था <br /><br />हम लम्हा दो जहाँ के, तेरे नाम कर चुके <br />एक वसीयत जां थी , उसे लिख जाना बाकि थाकनिष्क कश्यपhttps://www.blogger.com/profile/13827188974145349971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-80243241266911140072009-05-05T18:54:00.000+05:302009-05-05T18:54:00.000+05:30ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है
संपू...ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है <br />संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???<br />आपकी यह पुरानी कविता कालजयी कही जाएगी.. हर वक्त हर युग में सर्वथा सच.. आभारAshish Khandelwalhttps://www.blogger.com/profile/09509723253252348001noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-15916206426999884462009-05-05T18:32:00.000+05:302009-05-05T18:32:00.000+05:30सच कहा........कोई भी पूरा मुक्कम्मल इंसान नहीं होत...सच कहा........कोई भी पूरा मुक्कम्मल इंसान नहीं होता..........कुछ न कुछ कमी रह ही जाती है........और जब इंसान पूरा नहीं तो कविता कैसे पूरी हो सकती है..........गीत कैसे पूरा हो सकता है..........दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-80355448562356531702009-05-05T18:12:00.000+05:302009-05-05T18:12:00.000+05:30जी सच है !जी सच है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-57467516674122803852009-05-05T17:43:00.000+05:302009-05-05T17:43:00.000+05:30सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी क्यों रह जाती है
ज़िंद...सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी क्यों रह जाती है<br />ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है .........<br />बहुत सुंदर लाइनें .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-87138925509046653252009-05-05T17:26:00.000+05:302009-05-05T17:26:00.000+05:30द्विवेदी जी की टिप्पणी की संवेदना से अपने को जोड़ र...द्विवेदी जी की टिप्पणी की संवेदना से अपने को जोड़ रहा हूँ पूर्णतः । <br />रचना के लिये धन्यवाद ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-89346357885717052942009-05-05T17:05:00.000+05:302009-05-05T17:05:00.000+05:30इस रचना के माध्यम से बहुत सही बात कही आपने ...सच ऐ...इस रचना के माध्यम से बहुत सही बात कही आपने ...सच ऐसा ही तो होता है <br /><br /><A HREF="http://meraapnajahaan.blogspot.com/" REL="nofollow">मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति </A>अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-66895386076990617912009-05-05T16:58:00.000+05:302009-05-05T16:58:00.000+05:30दिल से जब निकलती है कविता
पूरी ही नज़र आती है
पर...दिल से जब निकलती है कविता <br />पूरी ही नज़र आती है <br />पर काग़ज़ो पर बिछते ही.......... <br />वह क्यों अधूरी सी हो जाती है <br />शब्दो के जाल में भावनाएँ उलझ सी जाती हैं <br /><br />ye to jaise mere man ki baat ho<br /><br />" kitne geet likhe lekin koi sampurna nahi dikhta,<br />saare bhav samahit ho itana paripurna nahi dikhata"कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-2965178604813227022009-05-05T16:38:00.000+05:302009-05-05T16:38:00.000+05:30दिल से जब निकलती है कविता
पूरी ही नज़र आती है
पर...दिल से जब निकलती है कविता <br />पूरी ही नज़र आती है <br />पर काग़ज़ो पर बिछते ही.......... <br />वह क्यों अधूरी सी हो जाती है <br /><br />ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है <br />संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???<br /><br />Haan, shayad aisa hi hota hai.अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-32444164553724206442009-05-05T16:24:00.000+05:302009-05-05T16:24:00.000+05:30रंजना जी,
मैं यह समझता हूँ कि जीवन जीने की जद्दोज...रंजना जी,<br /><br />मैं यह समझता हूँ कि जीवन जीने की जद्दोजहद में ही वह सब छिपा हुआ रहता है जिसकी कमी अक्सर लोग महसूस करते हैं।<br /><br />बहुत अच्छी कविता के लिये बधाईयाँ, मेरी यह प्रार्थना आपके पास रहेगी कि डायरियओं के पन्ने खोल दीजिये और पाठकों को रस में डूबने दीजिये।<br /><br />सादर,<br /><br />मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-78531118623595041392009-05-05T15:42:00.000+05:302009-05-05T15:42:00.000+05:30सोचता हूँ कि शायद जिदंग़ी को जीने की कला तो सबको आत...सोचता हूँ कि शायद जिदंग़ी को जीने की कला तो सबको आती है। पर रास्ते में हालात की कुछ रुकावटें आ जाती है और फिर आदमी की राह बदल जाती है। खैर आपकी रचना में जो लय बनी है वो सच में काबीले तारीफ है। पढते हुए लगा जैसे कोई गीत गुनगुना रहा हूँ। बहुत ही बेहतरीन। <br /><br />सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी क्यों रह जाती है<br />सच क्यूँ रह जाती है? कभी मौका मिले तो इस पर भी लिखना।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-40999909178717507702009-05-05T15:20:00.000+05:302009-05-05T15:20:00.000+05:30सही कहा आपने हम जिंदगी भर जिंदगी जीने की कला ही तो...सही कहा आपने हम जिंदगी भर जिंदगी जीने की कला ही तो सीखते रहते हैं। इस जीवन से भरी हुई कविता के लिए बधाई।<br />----------<br /><A HREF="http://tasliim.blogspot.com/" REL="nofollow">किस्म किस्म के आम</A> <br /><A HREF="http://sciblogindia.blogspot.com/" REL="nofollow">क्या लडकियां होती है लडको जैसी</A>Science Bloggers Associationhttps://www.blogger.com/profile/11209193571602615574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-65720969347827135702009-05-05T15:12:00.000+05:302009-05-05T15:12:00.000+05:30सच्ची बात!!
कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाती है .........सच्ची बात!!<br />कुछ न कुछ कमी तो रह ही जाती है ........... जीवन में??<br /><br /><br /><A HREF="http://primarykamaster.blogspot.com/" REL="nofollow">प्राइमरी का मास्टर</A><A HREF="http://fatehpurcity.blogspot.com/" REL="nofollow">फतेहपुर</A>प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-76649349817993426772009-05-05T15:06:00.000+05:302009-05-05T15:06:00.000+05:30असीम है जीवन
और उस की संभावनाएँ
हम चाहते हैं पूरा...असीम है जीवन <br />और उस की संभावनाएँ<br />हम चाहते हैं पूरा <br />मिलता है बहुत कम<br />शायद असीम का <br />करोड़ करोड........करोडवाँ अंश<br />तो प्यास रहेगी शेष <br />हमेशा <br />वह कभी नहीं बुझेगी <br />प्यास चिरयौवना है, अमर है<br />प्रेम का असीम स्रोत है<br />मैं चाहता हूँ <br />बनी रहे<br />प्यास अनंत् तक <br />मेरे साथदिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-35670035915734757302009-05-05T14:53:00.000+05:302009-05-05T14:53:00.000+05:30प्यार का गीत गुनगुनाता है हर कोई,
दिल की आवाज़ो क...प्यार का गीत गुनगुनाता है हर कोई, <br />दिल की आवाज़ो का तराना सुनता है हर कोई <br />आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई. <br />फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यों नही नज़र आती है <br /><br />बहुत खूब.......!!<br /><br />रंजना जी सबसे पहले एक सुन्दर और गहरी कविता के लिए आपको बहुत बहुत बधाई........!!<br />कुछ प्रश्न जो आपने उठाये.......<br /><br />दिल से जब निकलती है कविता <br />पूरी ही नज़र आती है <br />पर काग़ज़ो पर बिछते ही.......... <br />वह क्यों अधूरी सी हो जाती है <br /><br />कविता कभी अधूरी नहीं होती ...वह अपने अन्दर उन तमाम सवालों -जवाबों को समेटे होती है जो एक कवि समाज से पूछना चाहता है ...जानना चाहता है,.....विरोध करना चाहता है ....तभी तो वह कविता लिखता है .......वह अपने आप में मुकम्बल होती है ....!!<br /><br />संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???<br /><br />संपूर्ण जीवन जीने के लिए शायद हमें साधारण मनुष्य से बहुत ऊपर उठाना पड़े ....जो हम नहीं कर पाते ......!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-53064742800660345652009-05-05T13:24:00.000+05:302009-05-05T13:24:00.000+05:30zindagi hi nhi is jahan mein sabhi adhura hai .......zindagi hi nhi is jahan mein sabhi adhura hai .......samoornta to sirf ek mein hi hai.<br />bahut sahi kaha aapne..........kamiyan har kisi ki zindagi mein rah jati hain..........poori tarah jeene ki kala to sirf santon ,mahatmaon ko hi aati hai..........insaan to hamesha hi adhura raha hai.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-43707889339276988142009-05-05T13:19:00.000+05:302009-05-05T13:19:00.000+05:30ALPNA JI SE SAHMAT HUN....KAASH KISI KO JEENE KI K...ALPNA JI SE SAHMAT HUN....KAASH KISI KO JEENE KI KALA BHI AATI..डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-26413325554873414302009-05-05T12:59:00.000+05:302009-05-05T12:59:00.000+05:30ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने की कला
भला किसे आती ह...ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने की कला <br />भला किसे आती है ?<br />कहीं ना कहीं हर किसी की ज़िंदगी में ,<br />कोई न कोई तो कमी रह जाती है ....<br />waah,sahi jazbaaton se rachit kavitaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com