tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post1042653887135456900..comments2023-10-11T14:59:55.982+05:30Comments on कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se **: कल्पना का संसाररंजू भाटियाhttp://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-17416365537748836362012-05-15T15:50:28.273+05:302012-05-15T15:50:28.273+05:30बहुत सही कहा है आपने ... बेहतरीन प्रस्तुति।बहुत सही कहा है आपने ... बेहतरीन प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-20437926529624460092012-05-11T15:49:00.435+05:302012-05-11T15:49:00.435+05:30सच कहा रंजना जी............बहुत बढ़िया प्रस्तुति ....सच कहा रंजना जी............बहुत बढ़िया प्रस्तुति ..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-13074257958196423822012-05-10T11:38:52.383+05:302012-05-10T11:38:52.383+05:30कल्पना तो जरूरी है .. पर अगर वो सतह से जुडी रहे तो...कल्पना तो जरूरी है .. पर अगर वो सतह से जुडी रहे तो कभी कभी सार्थक सच्चाई बन जाती है ... तभी शायद जनकवि बनते हैं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-39800556835330697672012-05-10T09:09:10.576+05:302012-05-10T09:09:10.576+05:30aakarshak lekh ranju jee!aakarshak lekh ranju jee!सुरेन्द्र "मुल्हिद"https://www.blogger.com/profile/00509168515861229579noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-8198365350471300562012-05-10T08:46:45.131+05:302012-05-10T08:46:45.131+05:30कल्पना और यथार्थ का संतुलन ही सार्थक जीवन है !
अच्...कल्पना और यथार्थ का संतुलन ही सार्थक जीवन है !<br />अच्छा लेख !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-91426857306527457942012-05-10T07:15:18.641+05:302012-05-10T07:15:18.641+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुति
जातिवादी के दंश ने डसा एक ल...बहुत बढ़िया प्रस्तुति <br /><br /><a href="http://www.gyandarpan.com/2012/05/blog-post.html" rel="nofollow">जातिवादी के दंश ने डसा एक लाचार गरीब परिवार को : फेसबुक मुहीम बनी मददगार</a>Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-17457916546739702092012-05-10T05:51:44.195+05:302012-05-10T05:51:44.195+05:30बहुत अच्छा आलेख ,कुछ कुछ निबंधात्मक शैली में ...कल...बहुत अच्छा आलेख ,कुछ कुछ निबंधात्मक शैली में ...कल्पनाशीलता मनुष्य की पहचान है -<br /><br />लेखन की बोधगम्यता बताती है कि यह एक सिद्धहस्त लेखक (कामन जेंडर शब्द ) द्वारा लिखा गया है .<br /><br />Writeries block - writer's blockकर दें और विकीपीडिया का लिंक चाहें दे दें जिसे शायद किसी को विस्तार से जानना होArvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-39234760099952000772012-05-09T21:08:43.842+05:302012-05-09T21:08:43.842+05:30कल्पना करें तभी तो उसे साकार कर पायेंगे । कल्पना ल...कल्पना करें तभी तो उसे साकार कर पायेंगे । कल्पना लोक में विचरना किसे अच्छा नही लगता ।<br />हां शेखचिल्ली ना बनें ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-28848578237112070862012-05-09T20:27:30.457+05:302012-05-09T20:27:30.457+05:30सारा मनोविज्ञान और विज्ञान परोस दिया ...सारा मनोविज्ञान और विज्ञान परोस दिया आपने इस रचना के लघु कलेवर में क्या बात है ..शुक्रिया .कृपया यहाँ भी पधारें -<br />बुधवार, 9 मई 2012<br />शरीर की कैद में छटपटाता मनो -भौतिक शरीर<br />http://veerubhai1947.blogspot.in/<br />आरोग्य समाचार<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_09.हटमल<br />क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?<br />क्या डायनासौर जलवायु परिवर्तन और खुद अपने विनाश का कारण बने ?<br />http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-79419009887581054122012-05-09T17:13:18.021+05:302012-05-09T17:13:18.021+05:30कल्पना हमें तो समय के परे ले जाती है, अपने लोक..कल्पना हमें तो समय के परे ले जाती है, अपने लोक..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-2238475985044274082012-05-09T17:11:17.595+05:302012-05-09T17:11:17.595+05:30बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिय...बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....<br /><br /><a href="http://indiadarpan.blogspot.com" rel="nofollow"><br />इंडिया दर्पण</a> की ओर से शुभकामनाएँ।India Darpanhttps://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-5601710385509936542012-05-09T16:49:14.320+05:302012-05-09T16:49:14.320+05:30बिल्कुल सही कहा है आपने ... बेहतरीन प्रस्तुति।बिल्कुल सही कहा है आपने ... बेहतरीन प्रस्तुति।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-11489092542502299282012-05-09T16:24:29.425+05:302012-05-09T16:24:29.425+05:30सच कहा रंजना जी...............
कल्पना हो मगर कोरी ...सच कहा रंजना जी...............<br />कल्पना हो मगर कोरी कल्पना ना हो..............<br />कल्पना को मूर्त रूप देने की कोशिश भी तो हो!!!!<br /><br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-36348057.post-20167108031817407932012-05-09T16:19:35.026+05:302012-05-09T16:19:35.026+05:30रंजना जी,... आपने सही कहा,....सिर्फ़ उतनी ही कल्पन...रंजना जी,... आपने सही कहा,....सिर्फ़ उतनी ही कल्पना करनी चाइये जितनी जीने के लिए जरुरी है और जो जीवन में सम्भव हो सकती है ! <br /><br />सुंदर आलेख,.....<br /><br />my recent post....<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_06.html#links" rel="nofollow">काव्यान्जलि ...: कभी कभी.....</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.com