Saturday, July 23, 2016

सुनो ज़िन्दगी !!

सुनो ज़िन्दगी !!
तेरी आवाज़ तो ......
यूँ ही, कम पड़ती थी कानों में 
अब तेरे साए" भी दूर हो गए 
इनकी तलाश में 
बैठी हुई
एक बेनूर से
सपनों की किरचे
संभाले हुए ......
हूँ ,इस इंतजार में
अभी कोई पुकरेगा मुझे
और ले चलेगा
कायनात के पास .......
जहाँ गया है सूरज
समुंदर की लहरों पर हो कर सवार
"क्षितिज" से मिलने
और वहीँ शायद खिले हो
लफ्ज़, कुछ मेहरबानी के
जो गुदगुदा के दिल की धडकनों को
पूछेंगे मुझसे
कैसी हो बोलो ?
क्या पहले ही जैसी हो ?
‪#‎रंजूभाटिया‬

6 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-07-2016) को "सावन आया झूमता ठंडी पड़े फुहार" (चर्चा अंक-2414) पर भी होगी।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

दिगम्बर नासवा said...

जिंदगी तो पल पल यही पूछेगी .... पर एक सा कहाँ रहता है पल ...

Asha Joglekar said...

इसी इंतज़ार में निकलती है जिंदगी।

Onkar said...

बहुत सुन्दर

deekshamaurya said...

Bahut he sundar lekhab hai aapka ...man khush ho Gaya padhkar

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

शायद लफ्ज़ ही पूछ लें कि कैसी हो ... बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना .