Sunday, April 29, 2012

रिश्ते

रिश्ते
रोड पर लगे नियोन साइन से
कभी जलते कभी बुझते
कभी रंग बदलते
पर हमेशा लुभाते
फरिश्ते से
रिश्ते
दर्द में रिसते
पल पल को तरसते
मिल के भी नही मिलते
जाने कैसे हैं इस के रस्ते.


गहराई में डूबे हुए
सम्पूर्ण रिश्ते
अक्सर बेनाम ही होते हैं
न जाने फ़िर क्यों जरुरी होता है
इनको कोई नाम देना ..

Friday, April 13, 2012

इन्तजार



जाने कब तक उम्र बीतेगी इन्तजार में
एक मुद्दत से है राह पर नजर टिकी हुई

चल रहे हैं वक्त का यही है तकाजा
उस पार क्या है यह किसको खबर हुई

मिली तो मिली बस रुसवाइयां जिंदगी में
मौत के आने की घड़ी है अब ठहरी  हुई

बाँट गई सब खुशियाँ जो साथ थी
तन्हाई की अब तो आदत हमको हुई

कह तो रहे हैं अपने दर्द को इस ख़त में
वैसे तो बात किए हुए तुमसे अब मुद्दत हुई

Saturday, April 07, 2012

रिश्तों का सच



कौन कहता है कि..
हो जाता है एक नज़र में प्यार
दो दिल न जाने कब एक साथ
धड़कने लगते हैं...
तोड़ लायेंगे चाँद सितारे
और बिछा देंगे फलक
क़दमों के नीचे
ऐसे सिरफिरे वायदे भी
कसमों की जुबान होते हैं,

पर सब खो जाता है
कुछ ही पलों में...
वो दर्द को छूने की कोशिश..
वो इंतज़ार के बेकली के लम्हे..
आंखो में सजते सपने..
आग का दरिया तक
पार करने का जनून
न जाने कहाँ चला जाता है ?

रह जाता है तो सिर्फ़
एक भोगा हुआ वक्त
जो दो जिस्मों
मैं बंट कर
सिर्फ़ ...एक
पिघला हुआ एहसास
रह जाता है !!

Sunday, April 01, 2012

एहसास

कोई तो होता ......
दिल की बात समझने वाला
सुबह के आगोश से उभरा
सूरज सा दहकता
रात भर चाँद सा चमकने वाला

पनीली आखों में है
खवाब कई ...
कोई संजो लेता ..
इन में संवरने वाला
थरथराते लबों पर
ठहरा है लफ्जों का सावन
कोई तो होता ..
इनमें भीगने वाला

दिल की धडकनों में
कांपते हैं कितने ही एहसास
कोई तो होता ..
इन एहसासों को परखने वाला
इक नाम बसा है
अरमानों के खंडहर पर
कहाँ लौट के आता है
फ़िर जाने वाला ...!!!!

रंजू भाटिया