Wednesday, September 15, 2010

आहट

कल रात हुई
इक हौली सी  आहट
झांकी खिड़की से
चाँद की मुस्कराहट
अपनी फैली बाँहों से 
जैसे किया उसने
कुछ अनकहा सा इशारा
मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा
और कहा ,
रुक जाओ....
बहुत सर्द है यहाँ
 ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
इस उदास दिल को हो जाए
और दे जाए
कुछ धड़कने जीने की
कुछ वजह तो
 अब जीने की बन जाए !!

22 comments:

vandana gupta said...

वाह्……………ज़ज़्बातों को शब्द दे दिये…………………सुन्दर प्रस्तुति।

रंजन said...

खूबसूरत!!

Mohinder56 said...

सुन्दर रचना

और मेरी टिप्पणी के रूप में ये चन्द पंक्तियां जो आपकी कविता पढ कर ही उपजी हैं


ये ताका झांकी चांद की
और चांदनी का कैद होना
फ़िर पिघलती रात के पलों पर
लावे से जज्बातों की नाव खेना
खो गया हो चाहे बहुत कुछ
दिल को धडकना आ गया

shikha varshney said...

मैंने भी न जाने,
क्या सोच कर
बंद किया हर झरोखा
और कहा ,
रुक जाओ....
बहुत सर्द है यहाँ
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास

बहुत भावपूर्ण दिल को छू लेने वाली पंक्तियाँ.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सर्द है यहाँ
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
इस उदास दिल को हो जाए

बहुत खूबसूरत रचना ...

Manoj K said...

short and sweet, strong expression as always

Arvind Mishra said...

वाह बड़ी प्यारी प्यारी सी रूमानी कवितायेँ लिखी जा रही हैं आजकल :)

DR.ASHOK KUMAR said...

वाह! बहुत खूब...... आपने तो जज्बातोँ को ही अल्फाज दे दिये। शुभकामनायेँ! -: VISIT MY BLOG :- जिसको तुम अपना कहते हो ............कविता को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप उपरोक्त लिक पर क्लिक कर सकती हैँ।

Abhishek Ojha said...

सुन्दर !

sonal said...

bahut khoob

Asha Joglekar said...

सुंदर बहुत सुंदर ।
ठहरा सहमा है हुआ
हर जज्बात....
शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास

निर्मला कपिला said...

शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
बहुत भावपूर्ण रचना है शुभकामनायें।

रंजना said...

भावों के बहाव को बड़े सुन्दर शब्दों में बाँधा है आपने...

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... शब्दों की जादूगरी ... खूबसूरत एहसास पिरोए हैं ....

अनामिका की सदायें ...... said...

आप की रचना 17 सितम्बर, शुक्रवार के चर्चा मंच के लिए ली जा रही है, कृप्या नीचे दिए लिंक पर आ कर अपनी टिप्पणियाँ और सुझाव देकर हमें अनुगृहीत करें.
http://charchamanch.blogspot.com


आभार

अनामिका

santosh kumar said...

बहुत ही सुंदर रचना !

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..............

Udan Tashtari said...

और दे जाए
कुछ धड़कने जीने की
कुछ वजह तो
अब जीने की बन जाए

-गज़ब!! बहुत बढ़िया.

VIVEK VK JAIN said...

aap to hameshA HI ACHHA LIKHTI h.
hats off......

डॉ. मोनिका शर्मा said...

शायद तुम्हारे यहाँ होने से
कुछ पिघलने का एहसास
खूबसूरत प्रस्तुति.....सुन्दर रचना

P.N. Subramanian said...

बड़ी प्यारी सी रचना.

शरद कोकास said...

जीने की यह वज़ह तो होनी चाहिये ।