Wednesday, February 28, 2007

~*~*~*होली का रंग बिखरा है चारो ओर ~*~*~*


होली का रंग बिखरा है चारो ओर
आज कुछ ऐसी बात करो
रंग दो अपने प्यार के रंगो से
उन्ही रंगो से मेरा सिंगार करो........

रहो मेरे दिल के पिंजरे में,
और नज़रो से मुझको प्यार करो.
दो मेरी सांसो को अपनी धड़कनो कि लए
आज फिर कुछ ऐसी कोई बात करो..........

रहो मेरी बाहों कि परिधि में.
और टूट कर मुझको प्यार करो.
आज मैं --मैं "ना रहूं ,आज मैं "तुम" हो जाउँ
अपने प्यार से ऐसा मेरा सिंगार करो.........

लिख दो मेरे कोमल बदन पर
अपने अधरो से एक कविता.
जिसके" शब्द' भी तुम हो, और 'अर्थ" भी तुम हो,
बस ऐसा मुझ पर उपकार करो......

तेरी 'मुरली कि धुन सुन कर..........
मन आज कुछ ऐसा भरमाये......
हिरदये की पीरा, देह कि अग्नि.
रंगो में घुल जाए..
होली का रंग-रास आज फिर से "महारास हो जाए,
रंग दो आज मुझको अपने प्यार के रंग में..
प्रियतम ऐसी रंगो कि बरसात करो..........

होली का रंग बिखरा है चारो ओर
आज कुछ ऐसी बात करो......
रंग दो अपने प्यार के रंगो से......
उन्ही प्यार के रंगो से आज फिर तुम मेरा सिंगार करो........


ranju


Monday, February 26, 2007

अधूरा जीवन


ज़िंदगी को पूरी तरह से जीने की कला
भला किसे आती है
कहीं ना कहीं ज़िंदगी में ........
हर किसी के कोई कमी तो रह जाती है

प्यार का गीत गुनगुनाता है हर कोई,
दिल की आवाज़ो का तराना सुनता है हर कोई
आसमान पर बने इन रिश्तो को निभाता है हर कोई.
फिर भी हर चेहरे पर वो ख़ुशी क्यूं नही नज़र आती है
पूरा प्यार पाने में कुछ तो कमी रह जाती है
हर किसी की ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है

दिल से जब निकलती है कविता
पूरी ही नज़र आती है
पर काग़ज़ो पर बिछते ही..........
वोह क्यूं अधूरी सी हो जाती है
शब्दो के जाल में भावनाएँ उलझ सी जाती हैं
प्यार ,किस्से. कविता .यह सिर्फ़ दिल को ही तो बहलाती हैं
अपनी बात समझने में कुछ तो कमी रह जाती है

हर किसी की निगाहें मुझे क्यूं.........
किसी नयी चीज़ो को तलाशती नज़र आती हैं
सब कुछ पा कर भी एक प्यास सी क्यूं रह जाती है
ज़िंदगी में कही ना कही कुछ तो कमी रह जाती है
संपूर्ण जीवन जीने की कला भला किसे आती है ???

Saturday, February 24, 2007

निशानियाँ


जाते जाते माँग ली उसने सभी निशानियाँ अपनी
मौत देनी थी यूँ मुझे तो किश्तो में तो दी होती

थी ख़बर क्या एक दिन यह भी होगा
हमने तो अपनी साँसे तक उनके नाम थी कर दी

बदल गये वो भी हवाओ, की रुख़ की तरह
कुछ तो अपने जाने की ख़बर हमको दी होती

मिल जाती हमे पनाह उनकी बाहों में अगर
तो यह ज़िंदगी यूँ ना मुश्किल हुई होती

था वो बेबसी का आलम जब हम जुदा हुए
काश उस पल में यह दर्द की दास्तान ना हुई होती

माँगना था तो माँग लेते हमसे वो हमारी जान भी
पर यूँ अपने बीते पलो की निशानियाँ तो ना माँगी होती

Monday, February 19, 2007

दुआ देता है


मेरे कानो में चुपके से कौन सदा देता है
मेरे अंदर बुझी हुई राख को कौन हवा देता है

हर दर्द और हर ग़म को बसा रखा है हमने सीने में
यह दर्द ही है जो हर पल जीने का मज़ा देता है

बीत रही है मेरी उमर एक तन्हा से दर्द के साथ
उसकी यादो का मधुर उजाला इसमें कोई दीप सा जला देता है

जब भी कि हमने किसी से भल्लाई कि बात इस ज़माने में
वोह ही हमे सबके सामने गुनहगार ठहरा देता है

जब भी देखा किसी के दिल में झाँक कर हमने तो एक दर्द ही पाया
यह दर्द का रिश्ता भी कभी कभी दो दिलो को मिला देता है

मेरा दिल भी कितना मासूम और भोला है
यह ख़ुद को दर्द देने वाले को भी दुआ देता है !!
ranju

Saturday, February 17, 2007

मानते हो यदि स्वयं को मेरा शिव,


मानते हो यदि स्वयं को मेरा शिव,
तो शक्ति मान मुझे जीना होगा.

मेरे अधरो पर रख अपने अधर.
मेरे जीवन का पूर्ण विष पीना होगा..

मेरी हर ज्वाला को मेरे हर ताप को.
मन में बसे हर संताप को ...........

अपने शीश धरे गंगा जल से
तुमको ही शीतल करना होगा........

रिक्त पड़े इस हृदय के हर कोने को...........
बस अपने प्रेम से भरना होगा.......

मानते हो यदि स्वयं को मेरा शिव.......
तो शक्ति मान मुझे जीना होगा.................


ranju

Friday, February 16, 2007

मेरे ख्वाबो को परियों की कहानी कर दे ........


आज कुछ यूँ मेरी ज़िंदगी को ख़ुशनुमा कर दे
मैं बर्फ़ सी नदी हूँ इसे बहता पानी कर दे

मेरी आँखो ने देखे है कुछ हसीन से ख्वाब
आ मेरे ख्वाबो को परियों की कहानी कर दे

हर मोहब्बत का अंजाम हो "ताज़महल" यह ज़रूरी तो नही
तू अपने दिल के हर कोने को मेरा आशियाना कर दे..

भेजे हैं तूने जो महकते हुए से ख़त
उन्ही खतो के लफ़्ज़ो को अब मेरी ज़िंदगी की कहानी कर दे

फिर से दे-दे वही कुछ अपनी ज़िंदगी के फ़ुरसत के पल
मेरे दिल में फिर से वही प्रीत सुहानी भर दे

बीत ना जाए यह ज़िंदगी की शाम भी कही ख़ामोशी से
मेरे गीतो में अपनी सांसो की रवानी भर दे

आ फिर से मेरे ख्वाबो को परियों की कहानी कर दे
मैं बर्फ़ सी नदी हूँ मुझे बहता पानी कर दे !!

Wednesday, February 14, 2007

सपनो का आकाश चाहिए....


मेरे दिल की ज़मीन को सपनो का आकाश चाहिए,
उड़ सकूँ या नही ,किंतु पँखो के होने का अहसास चाहिए......

मौसम दर मौसम बीत रही है यह जिंदगानी ,
मेरी अनबुझी प्यास को बस एक "मधुमास" चाहिए.

लेकर तेरा हाथ, हाथो में काट सके बाक़ी ज़िंदगी का सफ़र.
मेरे डग-मग करते क़दमो को बस तेरा विश्वास चाहिए.

साँझ होते ही तन्हा उदास हो जाती है मेरी ज़िंदगी,
अब उन्ही तन्हा रातो को तेरे प्यार की बरसात चाहिए.

कट चुका है अब तो मेरा" बनवास" बहुत
मेरे बनवास को अब "अयोध्या का वास" चाहिए. !!

Saturday, February 10, 2007

दिल यूँ ही मचल गया


बदली यह हवा है यह बदला मेरे दिल का आलम है
दिल के हर कोने में बस मुस्कराता हुआ सा तू बस गया

पिघला है यह आसमान या फिर घुला है रंग तेरे प्यार का
आज यह समा गुलाबी रंगत में कैसे निखर गया

नये- नये से खिले- खिले से कुछ लगते हैं एहसास अपने
या तू मेरे ख्वाबो की तबीर में आ के फिर से ढल गया

मचल लेने दे आज मुझे अपने पहलू में सनम
कि आज तेरी नज़रो से मेरे दिल में फिर से कोई कमल खिल गया!!

मिलेगा इस तड़पती रूह को और सकुन तब ही
जब तेरे प्यार की बारिश में यह तन मन मेरा जल गया !!

Friday, February 09, 2007

माँ के जाने के बाद


इक सन्नटा सा कमरे में फैला था
माँ के वाजूद से यह घर हरा भरा था
उसकी की हुई दुआओ से यह घर अभी भी महक रहा था
अभी भी जैसे उसकी मुस्कान का घर पर पहरा था
अभी भी उसके ख़ामोश होंठो पर सबके लिए दुआएं थी
बच्चो को दुख सेहने की शक्ति ...
पति के लिए हर बाला से टकराने की तमन्नाएँ थी
हर आरज़ू जैसे बंद आँखो से अभी भी पुकार रही थी
तुम सब हँसते खेलते स्वस्थ रहो ..
यह दुआ वोह बंद दिल की धड़कनो से भी माँग रही थी
जीते जी उसके कभी हम ना समझ पाए उसकी प्यार की आवाज़ को
आज मर के भी वोह सबको अपने में समेटे दुलार रही थी!!

Tuesday, February 06, 2007

आईने


तेरी मोहब्बत तेरे शब्दो से बयान हो रही है
चर्चा मेरे नाम की महफ़ील में आज हो रही है

जो बात थी गीतो की ज़ुबान में अब तक
वोह बात आज खुले आम हो रही है

लिखा है जब से तुमने गीतो में नाम हमारा
यह दुनिया सितमगर आज हो रही है

होने लगा है हमारी बात का चर्चा अब दुश्मनो के घर भी
यह बात कहाँ की थी और कहाँ आज हो रही है

सह ना पाएगा ज़माना इस प्यार को कभी
जो बात दिल की थी वोह अफ़साना बन के आज आम हो रही है

मेरी हर बात पर वो कहते हैं की "जवाब तुम्हारा नही"
मेरे शब्दो मैं एक आईने की तरह बात हो रही है

Friday, February 02, 2007

एक ख्वाब एक कहानी ...


मेरी आँखो में एक ख्वाब फिर से सज़ा दे
एक अंधेरा है मेरी ज़िंदगी की राहा, तू कोई आस का दीप जला दे

भटक रही हूँ मैं ज़िंदगी के वीरान सेहरा में
एक प्यास है दिल में कही ठहरी हुई ,तू आके वोह बुझा दे

एक भटकी हुई मुसाफ़िर हूँ मैं या हूँ कोई पगली पवन
आके मेरी राहो को तू अब तो मंज़िल से मिला दे..

कोई भूली हुई कहानी हूँ ,या एक बिसरा हुआ हूँ सपना
के तू अब मेरे ख्वाब को अब तो हक़ीकत बना दे.
ranju

मेरी गज़ल के लफ़्ज़ो को गुनगुना के देखिए


नही है दूर कोई मंज़िल आपसे
ज़रा नज़र को उठा कर तो देखिए

रोने के लिए है सारी उमर यहाँ
एक लम्हा हँसी का गुनगुना के देखिए

आएँगे पलट के फिर से ज़माने मासूम इश्क़ के
एक बार बहारो को अपने पास बुला कर तो ज़रा देखिए

राहा कौन सी नही है मुश्किल यहाँ
बस होसला दिल का बढ़ा के देखिए

दिल लगता नही है यहाँ किसी के लगाने से कभी
कभी किसी के प्यार को नज़ारो में बसा के देखिए

जब हो कोई दिल की बात या ही समा उनके इंतज़ार का
मेरी गज़ल के लफ़्ज़ो को गुनगुना के देखिए !!

Thursday, February 01, 2007

अहसास


पेडो से जब पते गिरते है तो,
उसको:" पतझड़" कहते हैं
और जब नये फूल खिलते हैं तो,
उसको" वसंत कहते हैं
दूर मिलने का आभास लिए
जब धरती गगन मिलते हैं
तोह उसको "क्षितिज कहते हैं
पर
तेरा मेरा मिलना क्या है
इसे ना तो "वसंत,"
ना तो "पतझड़"
और ना "क्षितिज कहते हैं
यह तो सिर्फ़ एक अहसास है
अहसास
कुछ नही, एक पगडंडी है
तुमसे मुझे तक आती हुई,
मैं और तुम,
तुम और मैं
जिसके आगे शून्य है सब...................