Wednesday, January 31, 2007

पहली मुलाक़ात


याद रहेगा मुझे ज़िंदगी भर......
वो पहली मुलाक़ात का मंज़र सुहाना....
वो दुनिया से छिप के मिलना मिलाना.......
एक दूसरे को देखते ही अचानक
वो आँखो में चमक का भर जाना
वो पहली बार हाथो का छूना.....
वो तुम्हारा शरारती आँखो से मुस्कराना.......
नमकिन है या मीठा देखने के लिए
छू जाता है दिल को मेरे पीते ही
तुम्हारा वोह गिलासों को बदल जाना.
लबो पे आ के ठहरी थी कई बाते ..........
पर याद रहेगा वोह आँखो से बतियाना........
तुम्हारा मुझे छूने की कोशिश....
और मेरी सांसो का तेज़ हो जाना
मेरे दिल का जोरो से धड़कना और फिर अपनी नज़रे झुकना.....
हर किसी को अपनी और देखते पाते.......
यक़बा-यक मेरा चौंक कर परेशान हो जाना....
याद रहेगा मुझे यह ता-उमर.....
मेरे डर को, मेरी परेशानी को कम करने के लिए
तुम्हारा इस को सच प्यार बताना.........
और फिर एक दूसरे की आँखो मैं झाँकते हुए..
इस मुकदस पवीत्र मोहब्बत पर कहकहे लगाना.............

Monday, January 29, 2007

यादो के साए ******


कुछ यादो के झूरमूट से साए हैं
जो तेरी बातो से दिल में उतर आए हैं
इनको जगाना ना था तूने अपनी कड़वी बातो से
यह गुज़रे पल हमको अक्सर रुलाए हैं

जब भी हाथ बढ़ाया है इन्हे समेटने के लिए
मेरे दिल में अक्सर छाले से उभर आए हैं
कहा था तुमने की ज़िंदगी का सच बता रहा हूँ मैं
पर मेरे दिल को सिर्फ़ ख्वाबो के साए ही भाए हैं

अब जो जगा दिया तुमने अपनी बातो से इन को
तो मेरे दिल में कई सवाल से उभर आए हैं
क्यूं बुना अपने आस पास इन बेदर्द रिश्ते का जाल
जिसे लोग प्यार शब्द कह कर बुलाते आए हैं

Friday, January 26, 2007

एक गज़ल लिखने की कोशिश में.....


एक गज़ल लिखने की कोशिश में जो लफ्ज़ हमसे लिखा गया
वो उनका ही नाम था जो बार बार लिखा गया

माँगते रहे मेरे सूखे लब उनसे एक पनहा प्यार की
वो साया सा बन के मेरे पास से गुज़र गया

हमने चाहा की आज चुपके से चूम ले हम चाँद की पलको को
पर सुबह होते ही मेरा ख़वाब टूटे आईने सा टूट गया

रुके थे हम उनकी आँखो के समुंदर में डूबने के लिए
वो एक लहर सी बन के मेरे पास से गुज़र गया

ना जाने कितने ज़ख़्म खाए हमने उनकी मोहब्बत में
हर बार वो नये ज़ख़्म दे कर और दर्द दे के चला गया

अपनी हाथो की लक्रीरो में हमने ना पाया था नाम उनका
उनको पाने के लिए मेरा वजूद अपनी तक़दीर तक से लड़ गया


ranju

Tuesday, January 23, 2007

तेरी आवाज़

तेरी आवाज़ मेरे वीरानो को महका जाती है
झनकती है मेरे अंदर तक और मेरी रूह को छू जाती है

तेरी आवाज़ एक रोशनी की किरण है मेरे लिए
मेरी ज़िंदगी को यह रात रानी सा मेहका जाती है

जादुई बाँसुरी सी बजती तेरी यह आवाज़
मुझे जैसे सात सुरो सी सुनाई देती हैं

मेरा दिल डूब सा जाता है जैसे इसमें समूंद्र की गहराई सा
तेरी आवाज़ मेरे दिल में कई हसरते सी जगा देती है

प्यार की तरंगो में झूमने लगता है मेरा मन
तेरी आवाज़ शंख सी गूँजति हुई मेरे अंतरमन को हिला देती है

एक सकुन पा लेता है मेरा दिल जैसे
तेरी आवाज़ मुझे मेरे खुदा से मिला देती है !!!

Saturday, January 20, 2007

मेरा दीवानापन


अब तेरे लिए मेरा दीवानापन
इससे ज़्यादा और क्या होगा
देखते हैं जिस ख़त पर नाम तेरा
सोचती हूँ तेरा यह पैगाम मेरे लिए ही होगा

तेरे गीत तेरी नज़्म में पढ़ा है जब भी प्यार के शब्दो को
क्यों यह लगता है कि तूने यह मेरे लिए ही लिखा होगा

जब भी ढलका है शाम का आँचल जो कही
मुझे क्यों लगता है कि तू कही इंतज़ार मेरा करता होगा

चूमा है जब भी भंवरे ने किसी कली को मुस्करा के
क्यों लगा मुझे कि तूने ख़्यालो में मेरे लबो को चूमा होगा

जब भी बरसा है बादल झूम के धरती पर कभी
क्यों लगा मुझे की तूने मुझे अपनी बाहो में समेटा होगा

धड़का है जब भी मेरा दिल ज़ोर से कभी या ली हैं मेने हिचकियाँ
रहा मेरे दिल को यही एहसास की तूने दिल की गहराइयों से याद मुझे किया होगा

यह मेरा दीवानापन कही और दीवाना ना कर दे मुझको
अब इससे ज़्यादा तेरी मोहब्बत का नशा और क्या होगा !!